श्री राम चरित मानस
॥ मंगलाचरण - बालकाण्ड ॥
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श्लोक वर्णानामर्थसंघानां रसानां छन्दसामपि। मंगलानां च कर्त्तारौ वन्दे वाणीविनायकौ॥ (१) भावार्थ:- शब्दों के अर्थ समूहों, रसों, छन्दो...
॥ गुरु वंदना ॥
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॥ चौपाई ॥ बंदऊँ गुरु पद पदुम परागा। सुरुचि सुबास सरस अनुरागा॥ अमिअ मूरिमय चूरन चारू। समन सकल भव रुज परिवारू॥ (१) भावार्थ:- मै...
॥ ब्राह्मण और साधु पुरुषों की वंदना ॥
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॥ चौपाई ॥ बंदउँ प्रथम महीसुर चरना। मोह जनित संसय सब हरना॥ सुजन समाज सकल गुन खानी। करउँ प्रनाम सप्रेम सुबानी॥ (२) भावार्थ:- पहले ...
॥ आसुरी स्वभाव वालों की वंदना ॥
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॥ चौपाई ॥ बहुरि बंदि खल गन सतिभाएँ। जे बिनु काज दाहिनेहु बाएँ॥ पर हित हानि लाभ जिन्ह केरें। उजरें हरष बिषाद बसेरें॥ (१) भावार्थ:- ...
॥ संत और असंत मनुष्यों वंदना ॥
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॥ चौपाई ॥ बंदउँ संत असज्जन चरना। दुःखप्रद उभय बीच कछु बरना॥ बिछुरत एक प्रान हरि लेहीं। मिलत एक दुख दारुन देहीं॥ (२) भावार्थ:- मै...
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